अन्योन्यभ्यस्तराशि
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अपनी अपनी इष्ट शलाका जो नाना गुणहानि शलाका तीहिं प्रमाण दोयके अंक माडि परस्पर गुणें अपनी इष्ट प्रकृति का अन्योन्यभ्यस्तराशि का प्रमाण होय है ।
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