अनीक
सेना की तरह सात प्रकार के पदादि सात अनीकों में से प्रत्येक अनीक सात-सात कक्षाओं से युक्त होती है उनमें से प्रथम कक्षा का प्रमाण अपने-अपने सामानिक देवों के बराबर और आगे अन्तिम कक्षा तक उत्तरोत्तर प्रथम कक्षा से दूना- दूना प्रमाण होता चला जाता है। वृषभ, रथ, तुरंग, मुद्गल (हाथी), नर्तक, गंधर्व और भृत्य वर्ग इनकी सात कक्षाओं से युक्त सात सेनायें कही गयी हैं।