अनगार धर्म
ध्यान और अध्ययन करना मुनिवरों का मुख्य धर्म है, जो मुनिराज इन दोनों को अपना मुख्य कर्त्तव्य समझकर अहर्निश पालन करता है, वही मुनि मोक्षमार्ग में सल्लग्न हैं अन्यथा वह मुनिवर नहीं है। ज्ञानाचार आदि स्वरूप पाँच प्रकार आचार, उत्तम क्षमादि रूप दस प्रकार का धर्म, संयम, तप, तथा मूलगुण और उत्तरगुण, मिथ्यात्व, मोह और मद का त्याग, कषायों का शमन, इन्द्रियों का दमन, ध्यान, प्रमाद रहित अवस्थान, संसार शरीर और इन्द्रिय विषयों से विरक्ति, धर्म को बढ़ाने वाले अनेकों गुण, निर्मल रत्नत्रय ओर अन्त में समाधिमरण यह सब मुनियों का धर्म है, जो अविनश्वर मोक्षपद के आनन्द का कारण है।