अतिक्रम
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1 दिशाओं की सीमित मर्यादा का उल्लंघन करना (दिग्व्रत का) अतिक्रम है । 2. साधुओं के भिक्षा (आहारचर्या) काल को टालकर अयोग्यकाल में भोजन देने का भाव करना अतिथि संविभाग व्रत में काल का अतिक्रम कहलाता है। 3. ग्रहण किए गए व्रतों के प्रति मन की शुद्धि में कमी आ जाना अतिक्रम कहलाता है।
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