अगाढ़
जिस प्रकार वृद्ध व्यक्ति की लाठी तो हाथ में रही आती है परन्तु हाथ में स्थित रहते हुए भी कुछ काँपती रहती है, उसी प्रकार क्षयोपशम सम्यग्दर्शन वीतरागी देव-शास्त्र – गुरु की श्रद्धा में स्थित रहते हुए भी सकम्प ।
जिस प्रकार वृद्ध व्यक्ति की लाठी तो हाथ में रही आती है परन्तु हाथ में स्थित रहते हुए भी कुछ काँपती रहती है, उसी प्रकार क्षयोपशम सम्यग्दर्शन वीतरागी देव-शास्त्र – गुरु की श्रद्धा में स्थित रहते हुए भी सकम्प ।
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