अस्ति नास्ति भंग
बिना किसी वस्तु का निषेध किए हुए, विधि रूप ज्ञान नहीं हो सकता है। प्रत्येक वस्तु स्वरूप वस्तु से विद्यमान है, वह रूप से विद्यमान नहीं है। यदि वस्तु का सर्वथा भाव रूप से किया जाये तो एक वस्तु सद्भाव में सम्पूर्ण वस्तुओं का सद्भाव मानना चाहिए, और यदि सर्वथा अभाव रूप माना जाए तो वस्तु को सर्वथा स्वभाव रहित मानना चाहिए। घट आदि प्रत्येक वस्तु कथंचित नास्तिक रूप भी है। यदि पदार्थ को चतुष्टय की तरह पर चतुष्टय से भी अस्ति रूप माना जाए तो पदार्थ का कोई भी निश्चित स्वरूप सिद्ध नहीं हो सकता। सर्वथा अस्तित्ववादी भी वस्तु में नास्तिक धर्म प्रतिशेध में नहीं करते। उसी प्रकार अस्तिरूप वस्तु में कथंचित नास्तिरूप भी युक्ति से सिद्ध होता है।