असंभव
लक्षणाभास के तीन भेद – अव्याप्त, अतिव्याप्त और असम्भव । लक्ष्य के एक देश में लक्षण के रहने को अव्याप्त लक्षणाभास कहते हैं जैसे गाय का शावलेयत्व सब गायों में नहीं पाया जाता वह कुछ ही गायों का धर्म है, इसलिए व्याप्त है। लक्ष्य और अलक्ष्य में लक्षण के रहने को अतिव्याप्त लक्षणाभास कहते हैं जैसे गाय का ही पशुत्व लक्षण करना। यह पशुत्व गाय के सिवाय अश्वादि पशुओं में भी पाया जाता है इसलिए पशुत्व अतिव्याप्त है। जिस लक्षण में वृत्ति बाधित हो अर्थात् जो लक्ष्य में बिल्कुल ही न रहे वह असम्भव लक्षणाभास है जैसे मनुष्य का लक्षण सींग । सींग किसी भी मनुष्य में नहीं पाया जाता अतः वह असम्भव लक्षणाभास है।