अरक्षाभय
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जैसे कि बौद्धों के क्षणिक एकान्त पक्ष में चित्त क्षण प्रतिसमय नश्वर होता है वैसे ही पर्याय के नाश के पहले आंशिक रूप आत्मा के • नाश की रक्षा के लिए अक्षमता, अत्राणभय (अरक्षाभय ) कहलाता है।
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