अप्रतिपक्षी प्रकृतियाँ
अध्रुव प्रकृतियाँ दो प्रकार की होती हैं- निष्प्रतिपक्ष और सप्रतिपक्ष। परघात, उच्छ्वास, आतप, उद्योत, चारों आयु तीर्थंकर और आहारकद्विक ये ग्यारह अध्रुव निष्प्रतिपक्ष प्रकृतियाँ हैं। साता वेदनीय, तीनों वेद, हास्यादि चार (हास्य, रति, अरति, शोक), एकेन्द्रियादि पाँच जातियाँ, छ: संस्थान, छः सहनन, चार आनुपूर्वी, चार गति, औदारिक और वैक्रियक दो शरीर, दोनों के दो आंगोपांग, दो गोत्र, त्रसादि दस युगल (त्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक, स्थिर, शुभ, सुस्वर, सुभग, आदेय, यशकीर्ति) ये बीस, दो विहायोगति, ये बासठ सप्रतिपक्ष अध्रुवबंधी प्रकृतियाँ हैं।