अनुकम्पा
- Home
- अनुकम्पा
1. सर्व प्राणी मात्र में मैत्री भाव होना अनुकम्पा है । 2. दया से द्रवित होकर दूसरे की पीड़ा को अपना ही मानने का जो भाव होता है, उसे अनुकम्पा कहते हैं। यह सम्यग्दृष्टि का एक गुण है।
antarang tap
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now