अध्ययन कुशल साधु
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जो मुनि स्वाध्याय कर दो कोश गमन करता है और जहाँ आहार मिलेगा ऐसे क्षेत्र की वसदि में जाकर ठहरता है, यदि मार्ग दूर हो तो सूत्रपौरुषी अथवा अर्थपौरुषी के समान मंगल करके आगे गमन करता है, वह अध्ययन कुशल साधु है।
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