1. सम्यग्ज्ञान का अभ्यास किया है वह देने योग्य भी है तो भी जिस कारण से वह नहीं दिया जाता वह मात्सर्य है। यह ज्ञानावरण व दर्शनावरण कर्म के आस्रव का कारण है।2. दान देते हुए भी आदरभाव का न …
रागद्वेष पूर्वक पक्षपात का न करना माध्यस्थ्य है जो अविनेय है अर्थात् जिनमें जीवादि पदार्थों को सुनने व ग्रहण करने का गुण नहीं है उनके प्रति माध्यस्थ्य रखना चाहिए ।