मनःपर्याप्ति
अनुभूत अर्थ के स्मरण रूप शक्ति के निमित्तभूत मनोवर्गाणाओं के स्कन्धों से निष्पन्न पुद्गल प्रचय को मनःपर्याप्ति कहते हैं। अथवा द्रव्य मन के अवलम्बन से अनुभूत अर्थ के स्मरण रूप शक्ति की उत्पत्ति को मनःपर्याप्ति कहते हैं। मनो वर्गणा रूप जो पुद्गल स्कन्ध हैं, उनको अंगोपाङ्ग नाम कर्म के उदय से द्रव्य मन रूप परिणमाने की शक्ति होए और उसी द्रव्य मन के आधार से मन का आवरण वीर्यान्तराय कर्म के क्षयोपशम से विशेष गुण-दोष विचार अतीत का याद करना, अनागत में याद रखना, इत्यादि रूप भाव मन की शक्ति होय, उसको मनःपर्याप्ति कहते हैं ।