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23 July

स्थलगता चूलिका 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जिसमें पृथिवी के भीतर गमन करने के कारणभूत मंत्र – तंत्र और तपश्चरण का और वास्तुविद्या तथा भूमि संबंधी अनय शुभाशुभ के कारणों का वर्णन किया है उसे स्थलगता-चूलिका कहते हैं।

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23 July

स्थविर कल्प

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

समस्त वस्त्र आदि परिग्रह का परित्याग करके दिगम्बर होना, पिच्छी कमण्डलु रखना, पाँच महाव्रत, पाँच समिति, पाँच इन्द्रिय विजय आदि अट्ठाईस मूलगुणों को धारण करना, हीन संहनन होने के कारण गाँव, नगर आदि में रहना, जिसमें चारित्र भंग न हो …

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23 July

स्थान 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

भाव की उत्पत्ति कारण को स्थान कहते हैं अथवा एक जीव में एक समय में जो कर्मानुभाग दिखता है उसे स्थान कहते हैं अथवा अविभाग प्रतिच्छेदों का समूह वर्ग, वर्ग का समूह वर्गणा, वर्गणा का समूह स्पर्धक, स्पर्धक का समूह …

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23 July

स्थानांग

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जिसमें एक-एक, दो-दो आदि स्थानों के रूप में पदार्थों का वर्णन किया गया है उसे स्थान कहते हैं। जैसे- जीव एक है, वह ज्ञान – दर्शन इन दो गुणों की अपेक्षा अथवा संसारी व मुक्त जीवों की अपेक्षा दो प्रकार …

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23 July

स्थापना 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जिसके द्वारा निर्णीत रूप से पदार्थ स्थापित किया जाता है वह स्थापना है अथवा काष्ट कर्म, पुस्तकर्म, चित्रकर्म और अक्षनिक्षेप आदि में यह वह है’ इस प्रकार स्थापित करने को स्थापना कहते हैं वह दो प्रकार की है- सद्भाव स्थापना …

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