स्थानांग
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जिसमें एक-एक, दो-दो आदि स्थानों के रूप में पदार्थों का वर्णन किया गया है उसे स्थान कहते हैं। जैसे- जीव एक है, वह ज्ञान – दर्शन इन दो गुणों की अपेक्षा अथवा संसारी व मुक्त जीवों की अपेक्षा दो प्रकार का है, उत्पाद – व्यय – ध्रौव्य रूप तीन लक्षण वाला है आदि ।
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