स्थविर कल्प
समस्त वस्त्र आदि परिग्रह का परित्याग करके दिगम्बर होना, पिच्छी कमण्डलु रखना, पाँच महाव्रत, पाँच समिति, पाँच इन्द्रिय विजय आदि अट्ठाईस मूलगुणों को धारण करना, हीन संहनन होने के कारण गाँव, नगर आदि में रहना, जिसमें चारित्र भंग न हो ऐसे उपकरणों को रखना, जो जिसके योग्य हो उसे पुस्तक देना, समुदाय के रूप में विहार करना, भव्यों को धर्म सुनाना व शिष्यों का पालन करना, यह सब पंचम काल में हीन संहनन वाले साधुओं के योग्य स्थविर-कल्प है।