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23 July

षट् खंडागम

  • Posted by kundkund
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इसकी उत्पत्ति मूल द्वादशांग श्रुतस्कन्ध से हुई है इसके छह खंड है- जीवट्ठाण, खुद्दाबन्ध, बन्ध स्वामित्व विचय, वेदना खण्ड, वर्णना खंड एवं महाबंध। मूल ग्रन्थ के पाँच खण्ड प्राकृत भाषा में निबद्ध है। इनमें पहले खण्ड के सूत्र पुष्पदन्त आचार्य …

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23 July

षट् खण्ड 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

भरत आदि 170 कर्म भूमियों रूप क्षेत्रों में से प्रत्येक में दो- दो नदियाँ व एक-एक विजया पर्वत है जिनके कारण वह क्षेत्र छह खण्डों में विभाजित हो जाते है इन्हे ही षट् खण्ड कहते है। इनमे से एक आर्य …

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23 July

षट्कर्म 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

असि, मसि, कृषि, विद्या वाणिज्य और शिल्प ये छह कार्य प्रजा की आजीविका के कारण हैं इन्हें ही षट्कर्म कहते हैं। उपरोक्त असि, मसि, आदि छह सावध कर्म करने वाले सावध कर्मार्य कहलाते हैं। तलवार धनुषादि शस्त्र विद्या में निपुण …

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23 July

षट्काय 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

काय या शरीर की अपेक्षा जीव छह प्रकार के हैं पृथिवी कायिक, जलकायिक (अप्कायिक) तेजकायिक, वायुकायिक, वनस्पति कायिक और त्रस—कायिक। यही षट्काय कहलाते हैं ।

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23 July

षट्काल 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

काल नाम समय का है या समय को काल कहते हैं। वह काल दो प्रकार का है- उत्सर्पिणी और अवसप्रिणी। उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल के छह-छह भेद कहे गए हैं- सुषमा- सुषमा, सुषमा, सुषमादुषमा, दुषमासुषमा, दुषमा और अतिदुषमा या दुषमादुषमा …

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