इसकी उत्पत्ति मूल द्वादशांग श्रुतस्कन्ध से हुई है इसके छह खंड है- जीवट्ठाण, खुद्दाबन्ध, बन्ध स्वामित्व विचय, वेदना खण्ड, वर्णना खंड एवं महाबंध। मूल ग्रन्थ के पाँच खण्ड प्राकृत भाषा में निबद्ध है। इनमें पहले खण्ड के सूत्र पुष्पदन्त आचार्य …
इसकी उत्पत्ति मूल द्वादशांग श्रुतस्कन्ध से हुई है इसके छह खंड है- जीवट्ठाण, खुद्दाबन्ध, बन्ध स्वामित्व विचय, वेदना खण्ड, वर्णना खंड एवं महाबंध। मूल ग्रन्थ के पाँच खण्ड प्राकृत भाषा में निबद्ध है। इनमें पहले खण्ड के सूत्र पुष्पदन्त आचार्य …
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