षट्कर्म
असि, मसि, कृषि, विद्या वाणिज्य और शिल्प ये छह कार्य प्रजा की आजीविका के कारण हैं इन्हें ही षट्कर्म कहते हैं। उपरोक्त असि, मसि, आदि छह सावध कर्म करने वाले सावध कर्मार्य कहलाते हैं। तलवार धनुषादि शस्त्र विद्या में निपुण असिकर्मार्य हैं, द्रव्य अर्थात् रुपये पैसे की आमदनी खर्च आदि के लेखन में निपुण मसिकर्मार्य हैं, हल, कुलि, दान्ती आदि से कृषि करने वाले कृषि कर्मा हैं, चित्र खींचना या गणित आदि 72 कलाओं में निपुण विद्या कर्मार्य हैं, अथवा 64 गुणों से समान विद्याकर्मार्य हैं, धोबी, नाई, लुहार, कुम्हार, सुनार आदि शिल्प कर्मार्य हैं। चन्दनादि सुगन्धित पदार्थों का घी आदि का अथवा रस व धान्यादि का तथा कपास, वस्त्र, मोती आदि प्रकार के द्रव्यों का संग्रह करने वाले वाणिज्य (वणिक) कर्माय हैं ।