बहुत भारी दान देना और पूजा करना यज्ञ है आर्ष और अनार्ष के भेद से यज्ञ दो प्रकार का माना जाता है। क्रोधाग्नि, कामाग्नि ओर उदराग्नि इन तीन अग्नियों में क्षमा, वैराग्य और अनशन की आहुतियाँ देने वाले जो ऋषि, …
समस्त मोहनीय कर्म के उपशम या क्षय से जैसा आत्मा का स्वभाव है उस अवस्था रूप जो चारित्र होता है वह यथाख्यात चारित्र कहलाता है अथवा मोहनीय कर्म के उपशान्त या क्षीण हो जाने पर जो वीतराग संयम या चारित्र …