पुनः दीक्षा देना उपस्थापना या मूल नामक प्रायश्चित है उद्गम आदि छ्यालीस दोषों से युक्त आहार, उपकरण आदि को जो साधु ग्रहण कर लेता है वह मूल (प्रायश्चित ) प्राप्त होता है। अपरिमित अपराध करने वाला जो साधु पार्श्वस्थ, अवसन्न, …
जो वश में नहीं हैं उनको कैसे वश में में करना, अथवा जो स्त्री पुरुष अलग-अलग हो गए हैं उनका कैसे संयोग कराना ऐसे मंत्र – तंत्र आदि उपाय बताकर यदि साधु गृहस्थ से आहार प्राप्त करे तो यह मूल-कर्म- …
मूलाचार – वट्टकेराचार्य nikkyjain@gmail.com Date : 17-Nov-2022 Index अधिकार अनगार-भावना Index गाथा / सूत्र विषय 001) मंगलाचरण 002-003) मूलगुण के नाम 004) महाव्रतों के नाम 005) अहिंसा महाव्रत 006) सत्य महाव्रत 007) अचौर्य महाव्रत 008) ब्रह्मचर्य महाव्रत 009) परिग्रह महाव्रत …