1. दूसरे के प्रति नमने अर्थात् विनयभाव रखने की न होना मान है अथवा क्रोधवश व विद्या तप जाति आदि के मद से दूसरे के तिरस्कार रूप भाव को मान कहते हैं इस तरह मान का अर्थ अहंकार या गर्व …
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