वीर भगवान के समवशरण में योग्य पात्र के अभाव में दिव्य ध्वनि निर्गत नहीं हुई तब इन्द्र गौतम नामक ब्राह्मण को ले आये। वह उसी समय दीक्षित हो गया और दिव्य ध्वनि को धारण करने की उसी समय उसमें पात्रता …
दाता को मंत्र की महिमा बताकर और मंत्र देने की आशा दिलाकर यदि साधु आहार प्राप्त करे तो यह मंत्रोत्पादन – दोष है।