शुभ ध्यान करने वाले साधक को ध्याता कहते हैं। जो उत्तम संहनन वाला निसर्ग से बलशाली और सूर तथा चौदह, दस या नौ पूर्व को धारण करने वाला होता है, वह ध्याता है। मुमुक्षु हो, संसार से विरक्त हो, शांत …
स्पर्श रस आदि विषयों में दौड़ते चंचल क्रोध को प्राप्त हुए । भंयकर ऐसे इन्द्रिय रूपी चोर मन-वचन-काय गुप्ति वाले चरित्र में उद्यमी साधुजनों ने अपने बस में कर लिये। जैसे मस्त हाथी परिबंध कर रोका गया निकलने में समर्थ …
जो यथार्थ ग्रहण निरन्तर होता है, वह ध्रुव अवग्रह है। आशय यह है कि जैसा प्रथम समय में शब्द आदि का ज्ञान हुआ था, आगे भी वैसा ही होता रहता है, कम या ज्यादा नहीं होता यह ध्रुव-अवग्रह है।
ध्रुव स्कंध सान्तर निरन्तर ध्रुव शून्य प्रत्येक शरीर ध्रुव शून्य बादर निगोद ध्रुव और महास्कन्ध नाम वाली वर्गणा होती है। एक परमाणु वर्गणा से लेकर एक- एक परमाणु की वृद्धि क्रम से महा— स्कन्ध तक सब वर्गणाओं की एक श्रेणी …