ध्रुव अवग्रह
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जो यथार्थ ग्रहण निरन्तर होता है, वह ध्रुव अवग्रह है। आशय यह है कि जैसा प्रथम समय में शब्द आदि का ज्ञान हुआ था, आगे भी वैसा ही होता रहता है, कम या ज्यादा नहीं होता यह ध्रुव-अवग्रह है।
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