विपाक विचय
संसार में जीवों का जो एक और अनेक भव में पुण्य व पाप कर्म का फल प्राप्त होता है उसका तथा कर्म के उदय उदीरणा, संक्रमण, बन्ध और मोक्ष का चिंतवन करना विपाक- विचय नामक धर्मध्यान है अथवा ज्ञानवरणादि आठ कर्मों के प्रकृति, प्रदेश, स्थिति और अनुभाग रूप चार प्रकार के बन्धों के विपाक का अर्थात फल का चिन्तवन करना विपाक- विचय धर्मध्यान है।