मुंड
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पाँचों इन्द्रियों को मुण्डन अर्थात् उनके विषयों का त्याग, वचन मुण्डन अर्थात् बिना प्रयोजन के कुछ न बोलना, हस्त मुण्डन अर्थात् हाथ से कुचेष्टा न करना, पाद मुण्डन अर्थात् कुचिंतन का त्याग, शरीर मुण्डन अर्थात् शरीर की कुचेष्टा का त्याग इस प्रकार दश मुंड जिनागम में कहे गए हैं।
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