मानस्तम्भ
तीर्थंकरों के समवसरण में प्रवेश करने से पहले प्रत्येक दिशा में जो तीर्थंकर के शरीर की ऊँचाई से बारह गुनी ऊँची स्तम्भ के आकार की सुंदर रचना होती है उसे मानस्तम्भ कहते हैं। चूंकि दूर से ही इसके दर्शन मात्र से मिथ्यादृष्टि जीव अभिमान से रहित हो जाते हैं अतः इसका मानस्तम्भ नाम सार्थक है। सभी मानस्तम्भ मूल में वज्रद्वारों से युक्त होते हैं, मध्य-भाग में वृत्ताकार होते हैं और ऊपर चारों दिशाओं में चमर, घण्टा आदि से विभूषित एक-एक जिन प्रतिमा से युक्त होते हैं। अकृत्रिम चैत्यालयों में भी इसी तरह मानस्तम्भ की रचना होती है।