मल
द्रव्य व भाव के भेद से मल के दो भेद हैं । इनमें से द्रव्य मल भी दो प्रकार का है – बाह्य और अभ्यन्तर स्वेद, मल, रेणु, कद्रम आदि बाह्य द्रव्य मल हैं और दृढ़ रूप से जीव के प्रदेशों में एक क्षेत्रावगाह रूप बन्ध को प्राप्त कर्म रूपी पाप रज आभ्यन्तर द्रव्यमल है अज्ञान, अदर्शन आदि जीव के परिणामों को भावमल कहते हैं ।