मन शुद्धि
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आहारदान आदि देते समय ईर्ष्या, क्रोध आदि अशुभ-भावों से दूर रहना और श्रद्धा, विनय आदि शुभ – भाव रखना यह दाता की मन- शुद्धि है अथवा आर्तध्यान या रौद्रध्यान से रहित होना मन शुद्धि है।
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