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स्त स्थ स्न स्प स्य स्व
23 July

स्तेय 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

बिना दी हुई वस्तु का लेना स्तेय है। आदान शब्द का अर्थ ग्रहण है। बिना दी हुई वस्तु का लेना अदत्तादान कहलाएगा और यह अदत्तादान ही स्तेय या चोरी कहलाता है। जहाँ जिन वस्तुओं का लेना और देना सम्भव है …

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23 July

स्तेयानंदी रौद्र ध्यान

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जबरदस्ती अथवा प्रमाद की प्रतीक्षा पूर्वक दूसरे के धन को हरण करने के संकल्प का बार-बार चिन्तन करना तीसरा रौद्रध्यान है। जीवों के चौर्य कर्म के लिए निरन्तर चिन्ता उत्पन्न हो और चोरी कर्म करके भी निरन्तर हर्ष माने आनन्दित …

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23 July

स्त्यानगृद्धि 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

इसके निमित्त से स्वप्न अवस्था में विशेष शक्ति प्रगट होती है और जीव सोता हुआ भी कार्य करता है उसे स्त्यानगृद्धि कहते हैं ।

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23 July

स्त्री 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जो दोषों से स्वयं अपने को और दूसरों को आच्छादित करती है उसे स्त्री कहते हैं अथवा जो पुरुष की आकांक्षा करती है उसे स्त्री कहते हैं । स्त्रीवेद के उदय से जिसमें गर्भ धारण करने की क्षमता होती है …

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23 July

स्त्री कथा 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जिन्हों के काम अतिवृद्धि को प्राप्त हुआ हो ऐसी कामी जनों द्वारा की जाने वाली और सुनी जाने वाली ऐसी जो स्त्रियों की संयोग वियोगजनित विविध वचन, रचना वही स्त्रीकथा है।

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