जिन्होंने चार घातिया कर्मों का नाश कर दिया है ऐसे दोनों प्रकार के केवली (सयोग व अयोग) को स्नातक कहते हैं चारों घातिया कर्म नष्ट होते ही यथाख्यात संयम की प्राप्ति होती है बीज के समान बन्धन का निर्मूल नाश …
शरीर, उपकरण, वसति, कुल, गाँव, नगर, देश, बंधु और पार्श्व मुनि, ये मेरे हैं, ऐसा भाव उत्पन्न होना इसको स्नेह कहते हैं। उससे उत्पन्न हुए दोषों को स्नेहातिचार कहते हैं।