शरण दो प्रकार की है लौकिक और लोकोत्तर। दोनों प्रकार की शरण भी जीव अजीव व मिश्र के भेद से तीन-तीन प्रकार की है। राजा, देवता आदि लौकिक जीव रूप शरण है प्राकार आदि अजीव रूप शरण है और ग्राम, …
जिस कर्म के उदय से जीव के औदारिक आदि शरीर की रचना होती है उसे शरीर – नामकर्म कहते हैं ।
तिल की खली के समान खल भाग को हड्डी आदि कठिन अवयव रूप से और तिल तेल के समान रस भाग को रस, रुधिर, वसा, वीर्य आदि द्रव, अवयव रूप से परिणमन करने वाले औदारिकादि तीन शरीरों की शक्ति से …