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23 July

वक्तव्य 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

वस्तु कथंचित् वक्तव्य है, कथंचित अवक्तव्य है। वस्तु अवक्तव्य शब्द के द्वारा अन्य छः भंगों के द्वारा वक्तव्य होने से स्याद् अवक्तव्य है, सर्वथा नहीं । यदि सर्वथा अवक्तव्य हो जाए जो व्यक्तव्य शब्द के द्वारा भी उसका कथन नहीं …

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23 July

वक्तव्यता 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

वक्तव्यता के तीन प्रकार हैं- स्वसमय वक्तव्यता, परसमय वक्तव्यता, तदुभव वक्तव्यता । जिस शास्त्र में स्वसमय का ही वर्णन किया जाता है या विशेष रूप से ज्ञान कराया जाता है उसे स्वसमय व्यक्तव्यता कहते हैं। और उसमें रहने वाली विशेषता …

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23 July

वक्ता 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जिनमें वक्तृत्व पर्याय अर्थात् बोलने की क्षमता प्रगट हो गई है ऐसे द्वीन्द्रिय से लेकर संज्ञी पंचेन्द्रिय तक सभी जीव वक्ता है अथवा धर्म के उपदेष्टा को वक्ता कहते हैं धर्म का उपदेश देने वाले वक्ता तीन प्रकार के हैं …

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23 July

वचन 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

शुभ और अशुभ के भेद से वचन दो प्रकार के होते हैं। आख्यान, कला, पैशून्य, असम्बद्ध प्रलाप, रति, अरति, उपधि, निकृति, अप्रणति, मोष सम्यग्दर्शन और मिथ्यादर्शन के भेद से भाषा बारह प्रकार की है । हिंसादि से विरक्त मुनि या …

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23 July

वचन गुप्ति

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

वचन गुप्ति के दो लक्षण बताये गये हैं-दुर्वचना का त्याग व मौन धारण । यहाँ उन्हीं की अपेक्षा वचन गुप्ति के दो प्रकार से अतिचार बताए गए है। भाषा समिति के प्रकरण में बताए गए कर्कशादि वचनों का उच्चारण अथवा …

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