मननमात्र भाव स्वरूप होने से मुनि है। चारित्रसार/46/5 मुनयोऽवधिमनःपर्ययकेवलज्ञानिनश्च कथ्यंते। = अवधिज्ञानी, मनःपर्ययज्ञानी और केवलज्ञानियों को मुनि कहते हैं। देखें साधु – 1–(श्रमण, संयत, ऋषि, मुनि, साधु, वीतराग, अनगार, भदंत, दांत, यति ये एकार्थवाची हैं)। * मुनि के भेद व विषय–देखें साधु । …
बीसवें तीर्थंकर | मगध देश के राजगृह नगर में राजा सुमित्र और माता सोमा के यहाँ इनका जन्म हुआ। इनकी आयु तीस हजार वर्ष थी और शरीर बीस धनुष ऊँचा मयूरकंठ के समान नीली आभा वाला था। पंद्रह हजार वर्ष …