मालांग जाति के कल्पवृक्ष, वल्लि, तरु, गुच्छ और लताओं से उत्पन्न हुए 16 हजार भेदरूप पुष्पो की विविध मालाओं को देते हैं।
मस्तक ऊपर करके किसी पदार्थ का आश्रय लेकर कायोत्सर्ग में खड़े होना मालिकोद्वहन कायोत्सर्ग का दोष है।
मस्तक ऊपर करके किसी पदार्थ का आश्रय लेकर कायोत्सर्ग में खड़े होना मालिकोद्वहन कायोत्सर्ग का दोष है।
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