जिसकी प्रभा गाढ़ अंधकार के समान है, वह महातमः प्रभा भूमि है। इसका वर्णन माधवी है।
जिसमें समस्त इन्द्र और प्रतीन्द्रों में उत्पन्न होने में कारणभूत तपश्चरण आदि का वर्णन किया गया हो वह महापुण्डरीक नाम का अंगबाह्य है। महापुण्डरीक हृद ( तालाब) का नाम भी है।