मधु की बूंद भी मधुमख्खी की हिंसा रूप ही होती है। स्वमेव चूसे हुए अथवा छल द्वारा मधु छत्ते से लिए हुए मधु का ग्रहण करने में भी हिंसा होती है, क्योंकि इस प्रकार उसके आश्रित रहने वाले अनेकों क्षुद्र …
जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु के हाथ में दिया गया रूखा- सूखा आहार भी मीठे स्वाद वाला हो जाता है उसे मधुस्रावी – ऋद्धि कहते हैं।
इन तीनों के जुदा किए अवशेष जो द्रव्य रहा ताको सर्व कृष्टिनि विषै समान रूप दीजिए । ताकौं मध्यखण्ड द्रव्य कहते हैं। जो द्रव्य पूर्व ओर अपूर्व दोनों कृष्टियों को दिया, उसे वह द्रव्य विशेष कहते हैं।