इन्द्रिय और मन के द्वारा यथायोग्य पदार्थ जिसके द्वारा मनन किए जाते हैं, जो मनन करता है या मनन मात्र मति कहलाता है।
जिस कर्म के उदय से जीव का मतिज्ञान प्रगट नहीं हो पाता उसे मतिज्ञानावरण कार्य कहते हैं।
जिस कर्म के उदय से जीव का मतिज्ञान प्रगट नहीं हो पाता उसे मतिज्ञानावरण कार्य कहते हैं।
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