1. द्रव्य के परिणाम को भाव कहते हैं गुण और पर्याय दोनों भाव रूप है । 2. चेतन के परिणाम को भाव कहते हैं। औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, औदयिक और पारिणामिक ये पाँच भाव जीव के हैं ये पाँचों भाव जीव …
वर्तमान पर्याय से युक्त द्रव्य को भाव कहते हैं जो पर्याय आगे पीछे की पर्यायों में अनुगम नहीं करती हुई वर्तमान काल में ही रहती हैं वह वर्तमान काल की पर्याय भाव निक्षेप का विषय मानी गई है। भाव निक्षेप …
कर्मशक्ति के निर्मूलन में समर्थ जीव का शुद्धोपयोग तो भावनिर्जरा है। जीव के जिन शुद्ध परिणामों से पुद्गल कर्म झरते हैं, वे जीव के परिणाम भाव निर्जरा हैं ।
द्रव्य परमाणु से द्रव्य की सूक्ष्मता और भाव परमाणु से भाव की सूक्ष्मता कही गयी है । भाव शब्द से उसी आत्मद्रव्य का स्वसंवेदन परिणाम ग्रहण करना चाहिए। उसके भाव का परमाणु अर्थात् रागादि विकल्प रहित सूक्ष्म अवस्था क्योंकि वह …
योग- स्थान, अनुभाग- स्थान, कषाय – स्थान और स्थिति स्थान इन चार के निमित्त से भाव परिवर्तन होता है। प्रकृति और प्रदेश – बंध के कारणभूत आत्मा के प्रदेश परिस्पंदन रूप योगस्थान होते हैं। अनुभाग-बंध में कारणभूत कषाय की तरतमता …