जिसमें गणित विषयक करणसूत्र उपलब्ध होते हैं वह परिकर्म कहलाता है। यह दृष्टिप्रवाद अंग का प्रथम भेद है इसमें गणित विषयक संकलन व्यकलन, गुणाकार, भागकार, वर्ग, वर्गमूल, घन और घनमूल का वर्णन किया जाता है। परिकर्म के पाँच भेद हैं–चन्द्रप्रज्ञप्ति, …
जो वस्त्र मात्र परिग्रह को रख कर शेष सब परिग्रह को छोड़ देता है और स्वीकृत वस्त्र मात्र परिग्रह में भी ममत्व नहीं करता वह परिग्रह त्याग नामक नवमी प्रतिमा का धारक श्रावक कहलाता है। व्रती श्रावक की नवमीं प्रतिमा …