यह मध्यम लोक का अष्टम द्वीप है। इस द्वीप में 16 वापियाँ, 4 अंजनगिरि, 16 दधिमुख और 32 रतिकर नाम के कुल 52 पर्वत है। प्रत्येक पर्वत पर एक-एक चैत्यालय है। प्रत्येक अष्टाह्निका पर्व में अर्थात् कार्तिक, फाल्गुन व अषाढ़ …
जिसके उदय से जीव स्त्री व पुरूष दोनों के साथ कामसेवन की इच्छा करता है और संतान की उत्पत्ति के अयोग्य होता है उसे नपुंसक वेद कहते हैं।