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धन धर धव धा धी धू धृ धै ध्
23 July

धर्म द्रव्य 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जो जीव व पुद्गल के गमन में सहायक है उसे धर्म-द्रव्य कहते हैं। यह द्रव्य समूचे लोक में व्याप्त है। यह अचेतन और अरूपी है। इसका कार्य जल की तरह है जो मछली को गमन करने में सहायक है।

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23 July

धर्मचक्र 

  • Posted by kundkund
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तीर्थंकर के समवसरण में स्थित पीठिका पर जो सूर्य के बिंब के समान दैदीप्यमान चक्र शोभित होते हैं वे धर्मचक्र कहलाते हैं। ये समवसरण में चारों दिशाओं में होते हैं। हजार आरों वाले ये धर्मचक्र देवों से रक्षित होते हैं।

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23 July

धर्मध्यान

  • Posted by kundkund
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पंचपरमेष्ठी की भक्ति, शास्त्र स्वाध्याय, तत्व – चिन्तन, रत्नत्रय व संयम आदि में मन को लगाना धर्मध्यान है। धर्मध्यान के चार भेद हैंआज्ञा-विचय, अपाय- विचय, विपाक- विचय और संस्थान- विचय | पाँच अस्तिकाय, छह जीव निकाय, काल द्रव्य तथा इसी …

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23 July

धर्मनाथ 

  • Posted by kundkund
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पन्द्रहवें तीर्थंकर । कुरुवंशी राजा भानु और रानी सुप्रभा के यहाँ जन्मे। इनकी आयु दस लाख वर्ष और शरीर की ऊँचाई एक सौ अस्सी हाथ थी । शरीर स्वर्ण के समान आभा वाला था । पाँच लाख वर्ष तक राज्य …

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23 July

धर्मपत्नि 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

अपनी जाति की जिस कन्या के साथ विवाह किया जाता है, वह धर्मपत्नि है । वह ही यज्ञ पूजा प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्यों में व प्रत्येक धर्म कार्यों में साथ रहती है, उस धर्मपत्नि से उत्पन्न पुत्र ही पिता के …

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