जो जीव व पुद्गल के गमन में सहायक है उसे धर्म-द्रव्य कहते हैं। यह द्रव्य समूचे लोक में व्याप्त है। यह अचेतन और अरूपी है। इसका कार्य जल की तरह है जो मछली को गमन करने में सहायक है।
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जो जीव व पुद्गल के गमन में सहायक है उसे धर्म-द्रव्य कहते हैं। यह द्रव्य समूचे लोक में व्याप्त है। यह अचेतन और अरूपी है। इसका कार्य जल की तरह है जो मछली को गमन करने में सहायक है।
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