आदेश और उपदेश के विषय में अव्रती गृहस्थों को जिस प्रकार दूसरे के लिए आम्नाय के अनुसार थोड़ा सा भी उपदेश करना निषिद्ध नहीं है, उसी प्रकार किसी भी कारण से दूसरे के लिए हिंसा का उपदेश देना उचित नहीं …
दूसरे के द्वारा उपदेश सुनकर जीवादि पदार्थों के अस्तित्व एवं स्वरूप में जो अश्रद्धा रूप भाव उत्पन्न होता है उसे गृहीत – मिथ्यात्व अथवा अभिगृहीत मिथ्यात्व कहते हैं ।
परस्त्री भी दो प्रकार की है- एक गृहीता दूसरे के अधीन रहने वाली, दूसरी अगृहीता स्वतंत्र रहने वाली, इसके सिवाय तीसरी वेश्या भी परस्त्री है गृहीता स्त्री दो प्रकार की होती है। ऐसी स्त्री जिसका पति जीता है और दूसरी …
धार्मिक क्षेत्र में तथा ज्ञान के क्षेत्र में वृद्धि करते हुए अन्य ग्रहस्थों के द्वारा सत्कार किए जाने योग्य गृहीश या गृहस्थाचार्य पद को प्राप्त करना गृहीशिता क्रिया है।