कर्मभूमि के प्रारंभ में आर्य पुरुषों को कुल या कुटुम्ब की भाँति इकट्ठे रहकर जीने का उपदेश देने वाले महापुरुष कुलकर कहलाते हैं। प्रजा के जीवन-यापन का उपाय जानने से ये मनु भी कहलाते हैं। प्रत्येक अवसर्पिणी के तीसरे और …
कुलचर्या अपने कुल परंपरा के अनुसार देव पूजा आदि गृहस्थ के षट्कर्मों को यथा विधि नित्य पालता है, यही कुलचर्या क्रिया है।
यह निर्ग्रन्थ साधु का एक भेद है। कुशील नामक निर्ग्रन्थ साधु दो प्रकार के हैंकषाय-कुशील और प्रतिसेवना-कुशील । जिन्होंने अन्य सभी कषायों को जीत लिया है, जो केवल संज्वलन कषाय के अधीन हैं ऐसे निर्ग्रन्थ साधु कषाय- कुशील कहलाते हैं। …