कुशील निर्ग्रन्थ
यह निर्ग्रन्थ साधु का एक भेद है। कुशील नामक निर्ग्रन्थ साधु दो प्रकार के हैंकषाय-कुशील और प्रतिसेवना-कुशील । जिन्होंने अन्य सभी कषायों को जीत लिया है, जो केवल संज्वलन कषाय के अधीन हैं ऐसे निर्ग्रन्थ साधु कषाय- कुशील कहलाते हैं। जो मूलगुण और उत्तरगुणों से परिपूर्ण हैं लेकिन कभी उत्तरगुणों की विराधना जिनसे हो जाती है, ऐसे निर्ग्रन्थ साधु प्रतिसेवना-कुशील कहलाते हैं।