1. दीक्षा देने वाले आचार्य की शिष्य परंपरा को कुल कहते हैं । 2. पिता की वंश परम्परा को कुल कहते हैं। जाति भेद को कुल कहते हैं जाति तो उत्पत्ति स्थान रूप पुद्गल स्कंध के भेद का नाम है …
कुलचर्या अपने कुल परंपरा के अनुसार देव पूजा आदि गृहस्थ के षट्कर्मों को यथा विधि नित्य पालता है, यही कुलचर्या क्रिया है।