कुल
1. दीक्षा देने वाले आचार्य की शिष्य परंपरा को कुल कहते हैं । 2. पिता की वंश परम्परा को कुल कहते हैं। जाति भेद को कुल कहते हैं जाति तो उत्पत्ति स्थान रूप पुद्गल स्कंध के भेद का नाम है और कुल तो जिन पुद्गल स्कंधों से शरीर की रचना हो उनके भेद रूप है । जैनागम में 199 /2 लाख कुल कोटि कही गई है जो इस प्रकार हैंपृथ्वीकायिक जीवों में 22, अपकायिक 7, तेजकायिक 3, वायुकायिक 7, वनस्पतिकायिक 28, दो इन्द्रिक 7, तीन इन्द्रिय 8, चौ- इन्द्रिय 9, पंचेन्द्रिय जलचर 12 / 2, खेचर 12, भूचर 10, सर्पादि 9, नारकी जीव 25, मनुष्य 14 और देवों में 26 लाख कोटि कुल कहे गए हैं।