आत्मा में होने वाली क्रोधादि रूप कलुषता को कषाय कहते हैं । क्रोध, मान, माया और लोभ ये चार कषाय प्रसिद्ध हैं। क्रोधादि चारों कषाय में से प्रत्येक की अनन्तानुबन्धी, अप्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान और संज्वलन रूप चार-चार अवस्थाएँ होती हैं, इस …
कषाय की तीव्रता से जीव के प्रदेशों का अपने शरीर से तिगुने प्रमाण फैलने को कषाय समुद्घात कहते हैं। बाह्य और आभ्यन्तर दोनों निमित्तों के प्रकर्ष से उत्पन्न क्रोधादि कषाय के द्वारा कषाय समुद्घात होता है संग्राम में योद्धा लोग …