जीव के शुभ-अशुभ आदि परिणामों को करण संज्ञा है। सम्यक्त्व व चारित्र की प्राप्ति में सर्वत्र उत्तरोत्तर तरतमता लिये तीन प्रकार के परिणाम दर्शाये गये हैं–अध:करण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण। इन तीनों में उत्तरोत्तर विशुद्धि की वृद्धि के कारण कर्मों के …
विशेष कर्म निर्जरा के कारणभूत विशुद्ध परिणामों की प्राप्ति का नाम करण-लब्धि है। क्षयोपशम, विशुद्धि देशना, प्रायोग्य और करण ये पाँच लब्धियाँ हैं। इनमें से पहली चार तो सामान्य हैं अर्थात् भव्य–अभव्य दोनों के होती हैं, किन्तु करण लब्धि विशेष …
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