करण लब्धि
विशेष कर्म निर्जरा के कारणभूत विशुद्ध परिणामों की प्राप्ति का नाम करण-लब्धि है। क्षयोपशम, विशुद्धि देशना, प्रायोग्य और करण ये पाँच लब्धियाँ हैं। इनमें से पहली चार तो सामान्य हैं अर्थात् भव्य–अभव्य दोनों के होती हैं, किन्तु करण लब्धि विशेष है जो भव्य जीव के ही सम्यक्त्व और चारित्र ग्रहण के काल में होती है। करण लब्धि में क्रमशः अधःप्रवृत्तकरण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण ये तीनों विशिष्ट निर्जरा के कारणभूत विशुद्ध परिणाम होते हैं।